सूरदास का ‘भ्रमरगीत’
सूरदास का ‘भ्रमरगीत’ और उसके पद (पद सं. 21-70) अनेक आलोचकों ने भ्रमरगीत प्रसंग को ‘सूरसागर’ का सर्वोत्कृष्ट अंश बताया है. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने सूरसागर से ‘भ्रमरगीत’ के प्रसंगों को ढूंढ़कर निकाला और उसे संपादित कर ‘भ्रमरगीत सार’ नाम से पाठक समुदाय के सामने रखा. इस संपादित पुस्तक के आरंभ में ही शुक्ल जी …